👉 मामला विकास खंड रतनपुरा के अइलख मे हुए घोटाले का
👉 चर्चा मे हैं गबन के आरोपी गीतेश मौर्य का भाजपा जिलाध्यक्ष रामश्रय मौर्य से संबंध
मऊ। विकास खंड रतनपुरा के अइलख मे घोटाले की आंच से ग्राम प्रधान और सेक्रेटरी को बचाने के लिए वीडीओ की आपराधिक साजिस अबतक सफल होती दीख रही हैं। वीडीओ ने धन हड़पने वाले के खिलाफ होने वाली कानूनी कार्यवाही पर चुप्पी साध ली हैं। उधर निदेशक दफ्तर की चुप्पी भी गबन के आरोपियों के हाउसलो को बुलंदी देती नजर आ रही हैं।
विभागीय सूत्रों के अनुसार विकास खंड रतनपुरा के अइलख निवासी तेजप्रताप सिंह ने ग्राम प्रधान और सचिव के द्वारा मनरेगा मजदूरों को साजिस मे लेकर सरकारी धनो की लूट आदि की एक शिकायत शपथ पत्र के माध्यम से जिलाधिकारी मऊ की दी हैं। जिलाधिकारी ने मामले की गंभीरता को देखते हुए जाँच के दिए। डीएम के इस आदेश के अनुसार जाँच टीम ने गाँव मे हुए विकास कार्यों की नाप ले, जाँच को पूरा किया।

इसी जाँच के दौरान वीडीओ विवेक सिंह ने मनरेगा आदि के कार्यों की जाँच कर 5925 रूपये के गबन की रिपोर्ट जारी कर दी। बिना काम किये ग्राम पंचायत के खाते से ग्राम प्रधान और सचिव की साजिस मे धन उतारने वाले ने सचिव के आदेश के बाद सरकार के खाते मे उतारी गईं रकम को जमा कर दिया।
मजे कि बात यह रही कि वीडीओ की जाँच मे गबन के आरोप को साबित होने के बाद मामले मे बिना प्रथमिकी रिपोर्ट दर्ज किये रकम वसूली का आदेश खंड विकास अधिकारी द्वारा किस नियम के तहत जारी किया? इसका वीडियो ने आज तक जबाव नहीं दिया, तों अब ज़ब हडपी गईं रकम को आरोपी ने जमा कर गबन के आरोप को स्वीकार कर लिया, तब भी वीडीओ की एफ आई आर के प्रति मौन साधना लोगो मे सवाल बनी हुई हैं।
लोगो मे इस बात की चर्चा हैं की गबन के आरोपी गीतेश मौर्य और ग्राम प्रधान विजय का भाजपा जिलाध्यक्ष से अच्छे संबंधो के कारण वीडीओ आरोपी पर विधिक कार्यवाही करने को आदेश जारी नहीं कर रहे हैं। तथा राजनितिक रसूख मे पदीय अधिकारों का दुरूपयोग करतें हुए नौकरी को धार दी जा रही हैं।
..कही चोर चोर मौसेरे भाई वाली कहावत को तों चरितार्थ करने पर तों नहीं तुले हैं वीडीओ
विकास खंड रतनपुरा मे ग्राम प्रधान और सचिव के द्वारा बिना काम सरकारी धन को उतरवाने के मामले चोर चोर मौसेरे भाई वाई कहावत की छाया तों नहीं न आ गईं हैं। इलाकई एक ब्यक्ति ने नाम नहीं छापने कि शर्त पर बताया की वीडियो के द्वारा पहले ग्राम प्रधान और सचिव द्वारा गबन के लक्ष्य को बनाकर मनरेगा मजदूरों आदि से बिना काम कराये पहले धन उतरवाया जाता हैं तों फिर शिकायत के बाद पदीय अधिकारों का दुरूपयोग करतें हुए गबन के आरोपियों के बचाव किया जाता हैं। कहा की वीडीओ ने अब तक यहां यही किया हैं, वीडीओ द्वारा दी गईं रिपोर्ट और आरोपित रकम को आरोपी द्वारा अपराध को स्वीकार करते हुए रकम को जमा कराने के बाद मामले मे एफ आई आर दर्ज नहीं कराया जाना, और आज तक मामले मे चुप्पी साध कर बैठना चोर चोर मौसेरे भाई वाली कहावत को चरितार्थ होते देखा जा रहा हैं।
बहरहाल मामले मे वीडीओ हो या फिर आरोपी सभी ने मुँह बंद कर रखा हैं। निदेशक पंचायतीराज ने भी मामले मे समाचार लिखें जाने तक कोई कार्यवाही नहीं की हैं। देखना हैं गबन के आरोपी द्वारा गबन के अपराध को स्वीकार लड़ने के बाद अब विभाग कौन सी कार्यवाही अमल मे लाता हैं।